बिन्ध्यवासिनी मन्दिर
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विन्ध्यवासिनी मन्दिर पोखरा सहरमा रहेको सबैभन्दा पुरानो मन्दिर हो। यो हिन्दू मन्दिर पोखराको वडा नं २, मिरुवामा अवस्थित छ।[1] यो मन्दिरले नियमित रूपमा ठूलो सङ्ख्यामा स्थानीय वासी, देशभरका नेपाली र विदेशीहरूलाई समेत आकर्षित गर्दै आएको छ। [2] यो मन्दिरको मूल देवी विन्ध्यवासिनी हो। विन्ध्यवासिनीलाई भगवती कालीको अवतार हुन्। मन्दिर परिसरमा देवी सरस्वती, शिव, हनुमान, गणेशका साना मन्दिरहरू छन्। मन्दिर एउटा सानो पहाडमा अवस्थित छ। मन्दिरसम्म पुग्नको लागि ढुङ्गाको सुन्दर सिढी बनाइएको छ।
बिन्ध्यबासिनी मन्दिर | |
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Bindhyabasini temple | |
प्राथमिक विवरण | |
स्थान: | पोखरा |
निर्देशाङ्क | २८.२३७८°N ८३.९८४२°E / 28.2378; 83.9842 |
सम्बन्धन | हिन्दू धर्म |
देवता | बिन्ध्यवासिनी, काली, भगवती |
चाडपर्व | फुलपाती, नवदुर्गा, शिवरात्रि |
जिल्ला | कास्की |
राज्य | गण्डकी |
देश | नेपाल |
निकाय | Bindhyabasini Dharmik Chettra Bikash Samiti (बिन्ध्यबासिनी धार्मिक छेत्र बिकाश समिति) |
वेबसाइट | http://bindhyabasinitemple.com/ |
वास्तुकला विवरण | |
वास्तुकला प्रकार | Shikharaशिखर |
निर्माता | सिद्धिनारायण शाह वा खड्गमान मल्ल |
निर्माण सम्पन्न | c 1760 |
विशेष विवरण | |
मन्दिर(हरू) | 1 |
स्मारक(हरू) | 1 |
अवस्थिति | ९१५ मी (३,००२ फिट) |
विन्ध्यवासिनी ध्यान मन्त्र:
अरूणचंदन वस्त्र विभूषितम।
सजलतोयदतुल्यन रूरूहाम्।।
स्मरकुरंगदृशं विंध्यवासिनी।
क्रमुकनागलता दल पुष्कराम्।।
विन्ध्यवासिनी प्रार्थना मन्त्र:
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं, लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनी ।
वरा-वराननां शुभां, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कपीन्द्न जामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम् ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥
विन्ध्यवासिनी उपासना मन्त्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लिं विन्ध्यवासिन्यै नम: