शुक्र
सौरमंडल में सूर्य से दूसरा ग्रह / From Wikipedia, the free encyclopedia
शुक्र (Venus; प्रतीक: ), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है।[12] ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है।[13] चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लिए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है।
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शुक्र वास्तविक रंग में, सतह बादलों की एक मोटी चादर से छिप गया है। |
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उपनाम
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विशेषण | Venusian or (rarely) Cytherean, Venerean | |||||||||
युग J2000 | ||||||||||
उपसौर |
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अपसौर |
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अर्ध मुख्य अक्ष |
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विकेन्द्रता | 0.006756 | |||||||||
परिक्रमण काल | ||||||||||
संयुति काल | 583.92 days[2] | |||||||||
औसत परिक्रमण गति | 35.02 किमी/सेकंड | |||||||||
औसत अनियमितता | 50.115° | |||||||||
झुकाव |
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आरोही ताख का रेखांश | 76.678° | |||||||||
उपमन्द कोणांक | 55.186° | |||||||||
उपग्रह | कोई नहीं | |||||||||
भौतिक विशेषताएँ
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माध्य त्रिज्या |
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सपाटता | 0[4] | |||||||||
तल-क्षेत्रफल |
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आयतन |
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द्रव्यमान |
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माध्य घनत्व | 5.243 ग्राम/सेमी3 | |||||||||
विषुवतीय सतह गुरुत्वाकर्षण |
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पलायन वेग | 10.36 किमी/सेकंड | |||||||||
नाक्षत्र घूर्णन काल |
−243.018 दिवस (प्रतिगामी) | |||||||||
विषुवतीय घूर्णन वेग | 6.52 | |||||||||
अक्षीय नमन | 177.3°[2] | |||||||||
उत्तरी ध्रुव दायां अधिरोहण |
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उत्तरी ध्रुवअवनमन | 67.16° | |||||||||
अल्बेडो | ||||||||||
सतह का तापमान Kelvin Celsius |
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सापेक्ष कांतिमान | ||||||||||
कोणीय व्यास | 9.7"–66.0"[2] | |||||||||
वायु-मंडल
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सतह पर दाब | 92 bar (9.2 MPa) | |||||||||
संघटन |
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शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों में पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों में सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना में 92 गुना है। 735 K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते है[14]लेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |[15] पानी की अधिकांश संभावना प्रकाश-वियोजित (Photodissociation) रही होने की, व, ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र के अभाव की वजह से, मुक्त हाइड्रोजन सौर वायु द्वारा ग्रहों के बीच अंतरिक्ष में बहा दी गई है।[16]शुक्र की भूमी बिखरे शिलाखंडों का एक सूखा मरुद्यान है और समय-समय पर ज्वालामुखीकरण द्वारा तरोताजा की हुई है। 2020 में हुए दूरदर्शी शोध में इसके वायुमंडल में फोस्फिन गैस के होने के प्रमाण मिले जिससे शुक्र पर जीवन की संभावना को पुनः परिकल्पित किया जा रहा है।