भारतीय गिद्ध
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भारतीय गिद्ध (Gyps indicus) पुरानी दुनिया का गिद्ध है जो नई दुनिया के गिद्धों से अपनी सूंघने की शक्ति में भिन्न हैं। यह मध्य और पश्चिमी से लेकर दक्षिणी भारत तक पाया जाता है। प्रायः यह जाति खड़ी चट्टानों के श्रंग में अपना घोंसला बनाती है, परन्तु राजस्थान में यह अपना घोंसला पेड़ों पर बनाते हुये भी पाये गये हैं। अन्य गिद्धों की भांति यह भी अपमार्जक या मुर्दाख़ोर होता है और यह ऊँची उड़ान भरकर इंसानी आबादी के नज़दीक या जंगलों में मुर्दा पशु को ढूंढ लेते हैं और उनका आहार करते हैं। इनके चक्षु बहुत तीक्ष्ण होते हैं और काफ़ी ऊँचाई से यह अपना आहार ढूंढ लेते हैं। यह प्रायः समूह में रहते हैं। भारतीय गिद्ध का सर गंजा होता है, उसके पंख बहुत चौड़े होते हैं तथा पूँछ के पर छोटे होते हैं। इसका वज़न ५.५ से ६.३ कि. होता है। इसकी लंबाई ८०-१०३ से. मी. तथा पंख खोलने में १.९६ से २.३८ मी. की चौड़ाई होती है।[2][3]
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भारतीय गिद्ध | |
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भारतीय गिद्ध | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी |
वर्ग: | पक्षी |
गण: | फ़ैल्कनीफ़ॉर्मीस (या ऐक्सिपिट्रिफ़ॉर्मीस, देखें) |
कुल: | ऐक्सिपिट्रिडी |
वंश: | जिप्स |
जाति: | जी. इन्डिकस |
द्विपद नाम | |
जिप्स इन्डिकस (स्कोपॉलि, १७८६) | |
भारतीय गिद्ध का क्षेत्र बैंगनी रंग से दर्शित | |
पर्यायवाची | |
जिप्स इन्डिकस इन्डिकस |