नील नदी
उत्तरपूर्वी अफ्रीका की प्रमुख नदी / From Wikipedia, the free encyclopedia
संसार की सबसे लम्बी नदी नील है जो अफ्रीका की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया से निकलकर विस्तृत सहारा मरुस्थल के पूर्वी भाग को पार करती हुई उत्तर में भूमध्यसागर में उतर पड़ती है। यह भूमध्य रेखा के निकट भारी वर्षा वाले क्षेत्रों से निकलकर दक्षिण से उत्तर क्रमशः युगाण्डा, इथियोपिया, सूडान एवं मिस्र से होकर बहते हुए काफी लंबी घाटी बनाती है जिसके दोनों ओर की भूमि पतली पट्टी के रूप में शस्यश्यामला दिखती है। यह पट्टी संसार का सबसे बड़ा मरूद्यान है।[1] नील नदी की घाटी एक सँकरी पट्टी सी है जिसके अधिकांश भाग की चौड़ाई १६ किलोमीटर से अधिक नहीं है, कहीं-कहीं तो इसकी चौड़ाई २०० मीटर से भी कम है। इसकी कई सहायक नदियाँ हैं जिनमें श्वेत नील एवं नीली नील मुख्य हैं। अपने मुहाने पर यह १६० किलोमीटर लम्बा तथा २४० किलोमीटर चौड़ा विशाल डेल्टा बनाती है।[2] घाटी का सामान्य ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है। मिस्र की प्राचीन सभ्यता का विकास इसी नदी की घाटी में हुआ है। इसी नदी पर मिस्र देश का प्रसिद्ध अस्वान बाँध बनाया गया है।
नील | |
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नील नदी एवं उसके डेल्टा का नासा के एक उपग्रह से लिया गया चित्र | |
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नामोत्पत्ति | नील नाम यूनानी भाषा के शब्द नीलोस (Νεῖλος) से निकला है। |
स्थान | |
देश | इथियोपिया |
भौतिक लक्षण | |
नदीशीर्ष | ब्लू नील |
• स्थान | तन झील |
Source confluence | निकट खार्तूम |
नदीमुख | |
• स्थान |
भूमध्य सागर |
• ऊँचाई |
0 units? |
लम्बाई | 6650 units? |
जलसम्भर लक्षण | |
नगर | जिंजा |
नील नदी की घाटी का दक्षिणी भाग भूमध्य रेखा के समीप स्थित है, अतः वहाँ भूमध्यरेखीय जलवायु पायी जाती है। यहाँ वर्ष भर ऊँचा तापमान रहता है तथा वर्षा भी वर्ष भर होती है। वार्षिक वर्षा का औसत २१२ से. मी. है। उच्च तापक्रम तथा अधिक वर्षा के कारण यहाँ भूमध्यरेखीय सदाबहार के वन पाये जाते हैं। नील नदी के मध्यवर्ती भाग में सवाना तुल्य जलवायु पायी जाती है जो उष्ण परन्तु कुछ विषम है एवं वर्षा की मात्रा अपेक्षाकृत कम है। इस प्रदेश में सवाना नामक उष्ण कटिबन्धीय घास का मैदान पाया जाता है। यहाँ पाये जाने वाले गोंद देने वाले पेड़ो के कारण सूडान विश्व का सबसे बड़ा गोंद उत्पादक देश है। उत्तरी भाग में वर्षा के अभाव में खजूर, कँटीली झाड़ीयाँ एवं बबूल आदि मरुस्थलीय वृक्ष मिलते हैं। उत्तर के डेल्टा क्षेत्र में भूमध्यसागरीय जलवायु पायी जाती है जहाँ वर्षा मुख्यतः जाड़े में होती है।