कश्मीरी भाषा
जम्मू ओ कश्मीर और आज़ाद कश्मीर में बोली जाने वाली भाषा / From Wikipedia, the free encyclopedia
कश्मीरी भाषा एक भारतीय-आर्य भाषा है जो मुख्यतः कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में बोली जाती है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में इसके बोलने वालों की संख्या लगभग 56 लाख है। पाक-अधिकृत कश्मीर में 1998 की जनगणना के अनुसार लगभग 1 लाख कश्मीरी भाषा बोलने वाले हैं। कश्मीर की वितस्ता घाटी के अतिरिक्त उत्तर में ज़ोजीला और बर्ज़ल तक तथा दक्षिण में बानहाल से परे किश्तवाड़ (जम्मू प्रान्त) की छोटी उपत्यका तक इस भाषा के बोलने वाले हैं। कश्मीरी, जम्मू प्रान्त के बानहाल, रामबन तथा भद्रवाह में भी बोली जाती है। प्रधान उपभाषा किश्तवाड़ की "कश्तवाडी" है।
Kashmiri | ||||
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کٲشُر, कॉशुर,𑆑𑆳𑆯𑆶𑆫𑇀 | ||||
'कॉशुर' शब्द फारसी-अरबी लिपि, शारदा लिपि तथा देवनागरी लिपि में | ||||
उच्चारण | [kəːʃur] | |||
बोलने का स्थान |
जम्मू और कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश) (भारत)[1] आज़ाद कश्मीर (पाकिस्तान) | |||
तिथि / काल | 2011 census | |||
क्षेत्र | Kashmir valley, Chenab valley | |||
मातृभाषी वक्ता | 6.8 million | |||
भाषा परिवार |
हिन्द-यूरोपीय
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उपभाषा |
Kashtawari (standard)
Poguli
Rambani
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लिपि |
Perso-Arabic script (contemporary),[2] देवनागरी लिपि (contemporary),[2] Sharada script (ancient/liturgical)[2] | |||
राजभाषा मान्यता | ||||
नियंत्रक संस्था | कोई संगठन नहीं | |||
भाषा कोड | ||||
आइएसओ 639-1 | ks | |||
आइएसओ 639-2 | kas | |||
आइएसओ 639-3 | kas | |||
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कश्मीर की भाषा कश्मीरी (कोशुर) है ये कश्मीर में वर्तमान समय में बोली जाने वाली भाषा है। कश्मीरी भाषा के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग किया गया है, जिसमें मुख्य लिपियां हैं- शारदा, देवनागरी, रोमन और परशो-अरबी है। कश्मीर वादी के उत्तर और पश्चिम में बोली जाने वाली भाषाएँ - दर्ददी, श्रीन्या, कोहवाड़ कश्मीरी भाषा के उलट थीं। यह भाषा इण्डो-आर्यन और हिन्दुस्तानी-ईरानी भाषा के समान है।
भाषाविदों का मानना है कि कश्मीर के पहाड़ों में रहने वाले पूर्व नागावासी जैसे गन्धर्व, यक्ष और किन्नर आदि ,बहुत पहले ही मूल आर्यन से अलग हो गए। इसी तरह कश्मीरी भाषा को आर्य भाषा जैसा बनने में बहुत समय लगा। नागा भाषा स्वतः ही विकसित हुई है इस सब के बावजूद, कश्मीरी भाषा ने अपनी विशिष्ट स्वर शैली को बनाए रखा और 8-9वीं शताब्दी में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं की तरह, कई चरणों से गुजरना पड़ा।