अफ़्रीका की भाषाएं
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युनेस्को के अनुसार अफ्रीका में २००० से भी ज्यादा भाषाएँ बोली जाती है।[1] अधिकतर भाषाएं अफ्रीकी मूल की है परन्तु यूरोपीय एवं एशियाई प्रभाव भी देखा जा सकता है।
अफ्रीका महाद्वीप में बुशमैन (बुल्मनिवासी), वांटू, सूडान तथा सामी-हामी-परिवार की भाषाएँ बोली जाती हैं। अफ्रीका के समस्त उत्तरी भग में सामी भषाओं का आधिपत्य प्राय: दो हजार वर्षों से रहा है। इधर दो-तीन शताब्दियों से दक्षिण के कोने पर और समस्त पश्चिमी किनारे पर यूरोपीय जातियों ने कब्जा करके मूल निवासियों को महाद्वीप में भीतरी भागों की ओर हटा दिया। किंतु अब अफ्रीकी निवासियों में जागृति हो चली है और फलस्वरूप उनकी निजी भाषाएँ अपना अधिकार प्राप्त कर रही हैं।
अफ्रीकी भाषाओँ को निम्नलिखित समूहों में बांटा जा सकता है।
- अफ्रो-एशियाई भाषाएँ मुख्या रूप से एशिया के सीमावर्ती प्रान्तों में बोली जाती है। यह प्रांत है हार्न ऑफ़ अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका, सहेल एवं दक्षिण पश्चिमी एशिया।
- नीलो-साहरन भाषाएँ बोलने वाले लगभग ३ करोड़ लोग हैं जो निलोत जनजाती से सम्बन्ध रखते हैं। यह भाषा मुख्य रूप से चाड,इथियोपिया,कीनिया,सूडान, युगांडा और उत्तरी तंजानिया में बोली जाती है।
- नाइजर-कांगो भाषा समूह उप-सहारा क्षेत्र में बोली जाती। यह भाषा समूह विश्व का सबसे बड़ा भाषा समूह मन जाता है।
- खोइसान भाषा समूह में लगभग ५० भाषाएँ है एवं यह मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका में बोली जाती है।
उपनिवेशवाद का अंत होते-होते अधिकतर अफ्रीकी देशों ने यूरोपीय भाषाओँ को अपना लिया और उन्हें स्थानीय भाषाओँ के साथ राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया। अंग्रेजी एवं फ्रेंच भाषा अफ्रीका में प्रमुखता से बोली जाती है। इनके अलावा अरबी,पुर्तगाली, अफ्रीकान और मलागासी ऐसी भाषाएँ है जो अफ्रीका में बाहर से आकर काफी प्रचलित हुई।