आरमेइक लिपि
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आरमेइक लिपि (Aramaic Script) संसार की प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण लिपि है। इसका विकास प्राचीन सामी लिपि की उत्तरी शाखा से हुआ है, जिस शाखा से फोनिशियन लिपि का भी विकास हुआ था। आरमेइक लिपि का प्रयोग सीरिया, फिलस्तीन, मिस्र, अरबिस्तान आदि स्थानों पर होता था। आरमेइक भाषा इसी आरमेइक लिपि में लिखी जाती थी।
आरमेइक के प्राचीनतम अभिलेख ज़र्जीन एवं ज़ेनज़ीरली में प्राप्त कलमू अथवा मिलामूवा के अभिलेख हैं जो ई.पू. नवीं-आठवीं शताब्दी के हैं। आरमेइक लिपि के विकास की विभिन्न अवस्थाओं का पता बाररेकब (ई.पू. आठवीं शताब्दी), तेइमा (ई.पू. पांचवीं-चौथी शताब्दी), मिस्र अथवा ईजिप्ट (ई.पू. पांचवीं-तीसरी शताब्दी), एवं पाप्यरी (ई.पू. पांचवीं शताब्दी) के अभिलेखों से मिलता है।
ई.पू. तीसरी शताब्दी तक आरमेइक लिपि का निरंतर प्रयोग होता रहा। इसके पश्चात् यह लिपि विभिन्न शाखाओं में विभाजित हो गई। कालांतर में इस लिपि से अनेक लिपियों का विकास हुआ जिनमें से मुख्य हैं : बाद की हिब्रू लिपि, पतलवी, पालमेरेन, सीरिअक, अरबी, आर्मेनियन आदि।