सरीसृप
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सरीसृप अधिकांशतः स्थलीय प्राणी हैं, जिनका शरीर शुष्क शल्क युक्त त्वचा से ढका रहता है। इनमें बाह्य कर्ण छिद्र नहीं पाए जाते हैं। कर्णपटह बाह्य कर्ण का प्रतिनिधित्व करता है। दो युग्म पाद उपस्थित हो सकते हैं। हृदय सामान्यतः तीन प्रकोष्ठ का होता है किन्तु मगरमच्छ में चार प्रकोष्ठ का होता है। सरीसृप असमतापी जीव होते हैं। सर्प तथा छिपकली अपनी शल्क को त्वचा केंचुल के रूप में छोड़ते हैं। लिंग भिन्न होते हैं। निषेचन आन्तरिक होता है। ये सब अण्डज हैं तथा परिवर्धन प्रत्यक्ष होता है।