महात्मा
संस्कृत शब्द जिसका मतलब है "महान आत्मा" / From Wikipedia, the free encyclopedia
महात्मा शब्द दो शब्दों महा और आत्मा के मेल से बना है और इसका अर्थ होता है एक महान व्यक्ति मूलत: यह शब्द संस्कृत का है पर अब यह शब्द हिन्दी सहित बिश्व की सभी प्रमुख भाषाओं मे इसी अर्थ मे प्रयुक्त होता है। ऋग्वेद में सभी मनुष्य जो पृथ्वी पर विचरण करते है, और महान कार्यों को करने के बाद जगत का कल्याण करने की कामना हमेशा अपने मन, कर्म और वाणी के अन्दर रखते है, महात्मा कहलाते हैं। महात्मा शब्द आधुनिक ईसाई धर्म मे प्रयोग होने वाले सेंट (संत) शब्द से बहुत हद तक मेल खाता है।
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इस उपाधि को प्रमुख हस्तियों जैसे मोहनदास करमचंद गांधी और ज्योतिराव फुले के लिए आम तौर पर प्रयुक्त किया जाता है। कई स्रोतों, जैसे दत्ता और रॉबिन्सन की रवीन्द्रनाथ टैगोर: एक संकलन, के अनुसार रवीन्द्रनाथ टैगोर पहले व्यक्ति थे जिन्होने गांधी जो को पहले पहल 21 यह उपाधि प्रदान की थी। नाम से पुकारा था, जबकि कुछों के मुताबिक नौत्तमलाल भगवानजी मेहता ने जैतपुर के कमरीबाई विद्यालय मे पहली बार 21 जनवरी 1915 को गांधी को " महात्मा " शीर्षक प्रदान किया था।
शब्द का इस्तेमाल सिद्ध, मुक्त आत्माओं और पेशेवरों का उल्लेख करने के लिए भी किया जाता है।
तकनीकी अर्थ में इस शब्द को लोकप्रियता विश्व मे थिओसोफीकल साहित्य मे प्रयोग होने के बाद मिली. 19 वीं सदी के अंत में जब मदाम हेलेना पी.ब्लावात्सकी, थिओसोफीकल सोसायटी के संस्थापकों में से एक ने दावा किया कि उनके गुरु एक सिद्ध या महात्मा हैं जो तिब्बत में रहते हैं .