बारहसिंगा
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बारहसिंगा या दलदल का मृग (Rucervus duvaucelii) हिरन, या हरिण, या हिरण की एक जाति है जो कि उत्तरी और मध्य भारत में, दक्षिणी-पश्चिम नेपाल में पाया जाता है। यह पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में विलुप्त हो गया है।[2]
बारहसिंगा का सबसे विलक्षण अंग है उसके सींग। वयस्क नर में इसकी सींग की १०-१४ शाखाएँ होती हैं, हालांकि कुछ की तो २० तक की शाखाएँ पायी गई हैं। इसका नाम इन्ही शाखाओं की वजह से पड़ा है जिसका अर्थ होता है बारह सींग वाला।[3] मध्य भारत में इसे गोइंजक (नर) या गाओनी (मादा) कहते हैं।
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सामान्य तथ्य बारहसिंगा, संरक्षण स्थिति ...
बारहसिंगा[1] | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी |
वर्ग: | स्तनपायी |
गण: | आर्टियोडैक्टाइला |
कुल: | सर्विडी |
वंश: | रुसर्वस |
जाति: | आर. डुवौचॅली |
द्विपद नाम | |
रुसर्वस डुवौचॅली (कुविए, १८२३) | |
ऍतिहासिक इलाका (भूरा); बची आबादी: डुवौचॅली (लाल); ब्रॅन्डॅरी (हरा); रंजीतसिंही (नीला) |
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