गीत
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स्वर, पद और ताल से युक्त जो गान होता है वह गीत कहलाता है।
गीत, सहित्य की एक लोकप्रिय विद्या है। इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं। प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत को सिर्फ गाया जाता है, सुनाया नहीं जाता क्योंकि यह गेय पद्धति में ही लिखा जाता है । सुप्रसिद्ध कवि व गीतकार गोलेन्द्र पटेल ने 'गीत' को परिभाषित करते हुए कहा है कि “हृदय और मन के बीच जो तार है, उस पर मानवीय संवेदना के संघात से उत्पन्न आत्मस्वर गीत है, अर्थात् गीत अपनी आत्मरागात्मिकतावृत्ति में जीवन का स्वर है।”