अल्गोरिद्म
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मानक अल्गोरिद्म में वह गुना की संक्रिया संख्या की सबसे छोटी यूनिट यानी इकाई वाले अंक से शुरू करते हैं और फिर बाई और बढ़ते जाते हैं ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि हम सबसे पहले सबसे छोटी मात्रा के समूह यानी इकाई के स्थान पर अंको की मात्रा वाले समूहों को जोड़ते हैं इसके परिणाम को फिर इकाई और दहाई में बांटा जाता है इकाई को तो इकाई के स्थान पर ही रख दिया जाता है मगर दहाई को हासिल के रूप में अलग रख दिया जाता है फिर संख्या के दहाई अंक में गुणक से गुणा करने पर जो परिणाम आता है उसमें हासिल वाले अंक को जोड़ दिया जाता है पूरे अल्गोरिद्म की बुनियाद यही प्रक्रिया है।
गणित, संगणन तथा अन्य विधाओं में किसी कार्य को करने के लिये आवश्यक चरणों के समूह को कलन विधि (अल्गोरिद्म) कहते है।
कलन विधि को किसी स्पष्ट रूप से पारिभाषित गणनात्मक समस्या का समाधान करने के उपकरण के रूप में भी समझा जा सकता है। उस समस्या का इनपुट और आउटपुट सामान्य भाषा में वर्णित किये गये रहते हैं; इसके समाधान के रूप में कलन विधि, क्रमवार ढंग से बताता है कि यह इन्पुट/आउटपुट सम्बन्ध किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है।
कुछ उदाहरण :
१) कुछ संख्यायें बिना किसी क्रम के दी हुई हैं; इन्हें आरोही क्रम में कैसे सजायेंगे?
२) दो पूर्णांक संख्याएं दी हुई हैं ; उनका महत्तम समापवर्तक कैसे निकालेंगे ?