हैन्रिख़ हिम्म्लर
उच्च नाजी जर्मन अधिकारी, SS के प्रमुख / From Wikipedia, the free encyclopedia
हैन्रिख़ लुइटपोल्ड हिम्म्लर (जर्मन: Heinrich Himmler; pronounced [ˈhaɪnʁɪç ˈluˑɪtˌpɔlt ˈhɪmlɐ] ( सुनें) ; 7 अक्टूबर 1900 - 23 मई 1945) एस एस के राइखफ्यूहरर, एक सैन्य कमांडर और नाज़ी पार्टी के एक अगुवा सदस्य थे। जर्मन पुलिस के प्रमुख और बाद में आतंरिक मंत्री, हिमलर गेस्टापो सहित सभी आतंरिक व बाह्य पुलिस तथा सुरक्षा बलों के काम देखा करते. राइखफ्यूहरर और बाद में प्रतिस्थापन (गृह) सेना के कमांडर और पूरे राइख प्रशासन के प्रधान पूर्णाधिकारी मंत्री (Generalbevollmächtigter für die Verwaltung) के रूप में काम करते हुए हिमलर नाज़ी जर्मनी में दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गये।
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Heinrich Himmler | |
Reichsführer-SS | |
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कार्यकाल 6 जनवरी 1929 – 29 अप्रैल 1945 | |
नेता | Adolf Hitler |
पूर्व अधिकारी | Erhard Heiden |
उत्तराधिकारी | Karl Hanke |
Director of the Reich Main Security Office (acting) | |
कार्यकाल 4 जून 1942 – 30 जनवरी 1943 | |
पूर्व अधिकारी | Reinhard Heydrich |
उत्तराधिकारी | Ernst Kaltenbrunner |
Reich Minister of the Interior | |
कार्यकाल 24 अगस्त 1943 – 29 अप्रैल 1945 | |
कुलपति | Adolf Hitler |
पूर्व अधिकारी | Wilhelm Frick |
उत्तराधिकारी | Wilhelm Stuckart |
जन्म | 7 अक्टूबर 1900 Munich, Bavaria, Germany |
मृत्यु | 23 मई 1945(1945-05-23) (उम्र 44) Lüneburg, Lower Saxony, Germany |
राजनैतिक पार्टी | National Socialist German Workers' Party (NSDAP) |
जीवन संगी | Margarete Bode |
संतान | Gudrun, Helge, Nanette Dorotha |
धर्म | Roman Catholic (early) |
हस्ताक्षर | |
Military service | |
निष्ठा | German Empire |
शाखा/सेवा | Heer |
सेवा काल | 1917–1918 |
पद | Fahnenjunker |
इकाई | 11th Bavarian Infantry Regiment |
युद्ध | World War I |
यातना शिविरों, संहार शिविरों और आइन्सत्जग्रुप्पें (Einsatzgruppen) (अक्षरशः: कृतिक दल या टास्क फ़ोर्स, अक्सर वध दल के रूप में प्रयुक्त), के अध्यक्ष हिमलर ने छः मिलियन यहूदियों, 200,000 से 500,000 के बीच रोमा,[1][2] अनेक युद्धबंदियों और कदाचित और भी तीन से चार मिलियन पोलों, कम्युनिस्टों, या समलैंगिक, शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग, जेहोवाह के साक्षीतथा कन्फेसिंग चर्च के सदस्यों सहित ऐसे लोगों को जिन्हें नाज़ी जीने के काबिल नहीं समझते थे या बस वे उनके "रास्ते में" आ गये लोगों की हत्या का संयोजन किया। युद्ध की समाप्ति के ज़रा पहले, उन्होंने पश्चिमी मित्र राष्ट्रों के सामने जर्मनी और अपने आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा था, बशर्ते कि उन्हें मुकदमे से बख्श दिया जाय. ब्रिटिश सेना द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद पूछताछ करने से पहले ही उन्होंने आत्महत्या कर ली।