सैलिक क़ानून
मध्यकालीन यूरोप के फ़्रैंक लोगों की न्यायिक व्यवस्था / From Wikipedia, the free encyclopedia
सैलिक क़ानून (Salic law या Salian Law) मध्यकालीन यूरोप के फ़्रैंक लोगों की न्यायिक व्यवस्था थी। इसकी धाराओं को लातीनी भाषा में लिखित रूप में दर्ज किया गया था और फ़्रैंकी नरेश ने इसके रखरखाव के लिए एक समिति नियुक्त की हुई थी। इस क़ानून की ८वीं सदी ईसवी में बनी कई पांडुलिपियाँ मिली हैं और ९वीं सदी के अन्त तक के कुछ बदलावों वाले संस्करण भी मिलते हैं। एक ६ठी शताब्दी की प्रति भी मिली है लेकिन इसके सच्चे होने की पूर्ण पुष्टि अभी इतिहासकारों ने नहीं की है, इसलिए सम्भव है कि यह जाली हो या इसे समझने में कोई ग़लती हुई हो। इस बात पर सर्वसहमति है कि फ़्रैंकी क्षेत्रों में सैलिक क़ानून ६ठी सदी से लागू हो चुका था और इसका पहला प्रकाशन ५०७ से ५११ ईसवी के बीच हुआ।[1][2]
सैलिक न्याय-व्यवस्था में पैतृक धन-अधिकार जैसे नागरिक क़ानून (सिविल लॉ) और हत्या जैसे अपराधों से सम्बन्धित दंड विधि (क्रिमिनल लॉ) दोनों के सम्बन्ध मे धाराएँ मौजूद हैं। आधुनिक काल में मध्य यूरोप में जर्मनी, फ़्रान्स, बेलजियम, ऑस्ट्रीया, हंगरी और नेदेरलैंड्ज़ जैसे कई देशों के क़ानूनों पर सैलिक क़ानून का प्रभाव मिलता है।