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वैष्णवानां हरिस्त्वं शिवे धूर्जटिर्शक्तिरूपो नतीनां च भाग्यः परम्। यो गणारूढ़निर्व्यूहद्वैमातुरः सः सुरेशो रविस्त्वं सदा स्तोचताम्॥
- निजरचित आदित्यहर्षण स्तोत्र से
मेरा नाम पं० कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा (आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण) है। अधिक व्यस्तता के कारण मैं योगदान नहीं दे पा रहा हूँ।
यह सदस्य अंग्रेज़ी भाषा के लेखों का अनुवाद करने की क्षमता रखता है।
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मुझे लेखन का शौक है तथा मैं हिन्दी और संस्कृत भाषा का कवि हूँ। मुझे विभिन्न ग्रंथों का अध्ययन करना अच्छा लगता है। मैनें जब यह खाता खोला तब ज्यादा समय विकीपीडिया में व्यतीत नहीं कर पाता था पर जब मैने आप सबके योगदानों को देखा तब मुझे विकीपीडिया में योगदान करने की इच्छा हुई।
इसके लेख लिखने के बारे में जानने की इच्छा हुई तब मैने कुछ दिनो पहले गूगल पर खोज की। मैने कुछ लेखों में मात्रा से संबंधित सुधार भी किया तत्पश्चात मैने अपना पहला लेख अशोक सुंदरी लिखा।
विकीपीडिया हिन्दी भी अन्य भाषाओं के समान हजारों लाखों लेखों से भरे तथा प्रचलित हो यही मेरी कामना है।
कोशिश यही रहती है कि मैं अपने लेखों को जितना हो सके उतना आकर्षक बना सकूँ। मुझे यहाँ कई सहायताऐं प्राप्त हुईं। परस्पर सहयोग की भावना ही है जिसके कारण बिना सहयोग माँगे यहाँ सहायता मिला। ऐसे ही हिन्दी को प्रचलित बनाइये। मेरी कोशिश भी जारी है। मैं अपने योगदानों को काम की तरह नहीं समझता क्योकि काम से धन मिलता है परंतु यह काम से कहीं ज्यादा है। यह विद्या का प्रसार है। और विद्या का मेरे जीवन में बहुत महत्व है।
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विद्या कामधेनु के समान है। व्यक्ति विद्या हासिल कर उसका फ़ल कहीं भी प्राप्त कर सकता है।
मेरा यह मानना है कि अगर मुझे यहाँ लेखन करने मौका न मिलता तब शायद मैं उन संबंधों में खोज भी न करता। ऐसे में अब तक जो कुछ मैने जाना है, शायद नहीं जान पाता। इसी प्रकार हमारी भाषा को उच्च स्तर पर रखें। नए सदस्यों को देखकर बहुत अच्छा लगता है।