संग्राम शाह
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संग्राम शाह मरावी (शासन काल 1482-1543) गोंडवाना के सर्वाधिक शक्तिशाली एवं प्रतापी राजा थे। संग्राम शाह एक छोटी सी जागीर के स्वामित्व से आरम्भ करके अपने रणकौशल से 52 गढ़ और 57 परगनो पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया, और इसलिए उन्हे बावन गढ़ाधिपति की उपाधि भी प्राप्त हुई। नरसिंहपुर जिले में चौरागढ़ (चौगान) किले का निर्माण भी वही कराए थे। जो रानी दुर्गावती के पुत्र वीरनारायण की वीरता का मूक साक्षी है।
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आगे चल कर इन्ही के वंशज 1857 में राजा शंकर शाह को उनके पुत्र सहित आजादी की बिगुल फूकने के अपराध में तोप के मुखाने से बांध कर अंग्रेजो ने उड़ाया था।
संग्राम शाह के उत्तराधिकारियों में दलपत शाह जी (1543-1549) सात वर्ष शांति पूर्वक शासन किया । उसके पश्चात उनकी वीरांगना रानी दुर्गावती ने राज्य संभाला और अदम्य साहस एवं वीरता पूर्वक 16 वर्ष (1549-1564) शासन किया।