शैतान सिंह
भारतीय सेना अधिकारी एवं परमवीर चक्र से सम्मानित / From Wikipedia, the free encyclopedia
मेजर शैतान सिंह भाटी (जन्म 1 दिसम्बर 1924 तथा मृत्यु 18 नवम्बर 1962) भारतीय सेना के एक अधिकारी थे। इन्हें वर्ष 1963 में मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया।[1] [2] इनका निधन 1962 के भारत-चीन युद्ध में हुआ था, इन्होंने अपने वतन के लिए काफी संघर्ष किया लेकिन अंत में शहीद हो गये तथा भारत देश का नाम रौशन कर गये। [3] मेजर सिंह स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने पर सिंह जोधपुर राज्य बलों में शामिल हुए। जोधपुर की रियासत का भारत में विलय हो जाने के बाद उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने नागा हिल्स ऑपरेशन तथा 1961 में गोवा के भारत में विलय में हिस्सा लिया था।
मेजर शैतान सिंह भाटी परमवीर चक्र | |
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जन्म |
01 दिसम्बर 1924 [फलोदी], राजस्थान, भारत |
देहांत |
नवम्बर 18, 1962(1962-11-18) (उम्र 37) रेज़ांग ला, जम्मू और कश्मीर, भारत |
निष्ठा |
ब्रिटिश भारत भारत |
सेवा/शाखा | भारतीय सेना |
सेवा वर्ष | 1949-1962 |
उपाधि | मेजर |
सेवा संख्यांक | IC-6400 |
दस्ता | कुमाऊं रेजिमेंट |
युद्ध/झड़पें | भारत-चीन युद्ध |
सम्मान | परम वीर चक्र |
1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान, कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन को चुशूल सेक्टर में तैनात किया गया था। सिंह की कमान के तहत सी कंपनी रेज़ांग ला में एक पोस्ट पर थी। 18 नवंबर 1962 की सुबह चीनी सेना ने हमला कर दिया। सामने से कई असफल हमलों के बाद चीनी सेना ने पीछे से हमला कर किया। भारतीयों ने आखिरी दौर तक लड़ा परन्तु अंततः चीनी हावी हो गए। युद्ध के दौरान सिंह लगातार पोस्टों के बीच सामंजस्य तथा पुनर्गठन बना कर लगातार जवानों का हौसला बढ़ाते रहे। चूँकि वह एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर बिना किसी सुरक्षा के जा रहे थे अतः वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीर गति को प्राप्त हो गए। उनके इन वीरता भरे देश प्रेम को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1963 में उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया।[4]