शुक्र (ज्योतिष)
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शुक्र (शुक्र, ശുക്രൻ, ಶುಕ್ರ, சுக்ரன், IAST Śukra), जिसका संस्कृत भाषा में एक अर्थ है शुद्ध, स्वच्छ, भृगु ऋषि के पुत्र एवं असुर गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक शुक्र ग्रह है। भारतीय ज्योतिष में इसकी नवग्रह में भी गिनती होती है। यह सप्तवारों में शुक्रवार का स्वामी होता है। यह श्वेत वर्णी, मध्यवयः, सहमति वाली मुखाकृति के होते हैं। इनको ऊंट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार दिखाया जाता है। ये हाथों में दण्ड, कमल, माला और कभी-कभार धनुष-बाण भी लिये रहते हैं।[1]
शुक्र | |
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शुक्र ग्रह | |
संबंध | ग्रह एवं असुरगुरु |
ग्रह | शुक्र ग्रह |
मंत्र | ॐ शुं शुक्राय नम:॥ |
जीवनसाथी | ऊर्जस्वती |
माता-पिता |
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भाई-बहन | लक्ष्मी (छोटी बहिन) |
सवारी |
मगरमच्छ/ सात अश्वों द्वारा खींचा गया रथ |
उषानस एक वैदिक ऋषि हुए हैं जिनका पारिवारिक उपनाम था काव्य (कवि के वंशज, अथर्व वेद अनुसार[2] जिन्हें बाद में उषानस शुक्र कहा गया।
शुक्राचार्य के वंशज हमे आज भी देखने को मिलते है जिन्हे सामान्य भाषा में डाकोत (भार्गव, जोशी, ज्योतिषी) ब्राह्मण के नाम से जाना जाता है । इस वंश के लोग ज्यादातर राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, MP, गुजरात जैसे राज्यो में पाएं जाते है ।