मेलेनोमा
From Wikipedia, the free encyclopedia
मेलेनोमा कैंसर का एक ऐसा प्रकार हैं, जों वर्णक युक्त कोशिकाओं से विकसित होता हैं, जिन्हें मेलेनोसाइट्स[1] कहा जाता हैं। मेलेनोमा को मैलीगनेंट (घातक) मेलेनोमा भी कहा जाता हैं। मेलेनोमा ज्यादातर त्वचा में ही होता हैं, बहुत ही कम देखा जाता हैं क यह आँख[2] या मुहं में हो। महिलाओं में यह आमतौर पर पैरों पर ही देखा जाता हैं, जबकि पुरुषों में यह पीठ[3] पर देखा जाता हैं। यह कभी-कभी तिल के आकर में वृद्धि, अनियमित किनारों, रंग में परिवर्तन, खुजली या त्वचा के टूटने से विकसित होते हैं।
मेलेनोमा का प्राथमिक कारक परबैंगनी प्रकाश हैं, जब पराबैंगनी प्रकाश (यूवी) की किरणे त्वचा के निम्न-स्तर वाले रंगद्रव्य पर पड़ती हैं, तो इसका खतरा बढ़ जाता हैं। यूवी प्रकाश या तो सूर्य से या फिर अन्य टैनिंग स्त्रोतों[4] से आ सकता हैं। लगभग २५% तिल से विकसित होते हैं। जिन लोगो को तिल ज्यादा होते हैं, इतिहास में परिवार का कोई सदस्य पहले प्रभावित हुआ हो, या जिसका प्रतिरक्षी तंत्र कमजोर हो उनको इस बीमारी का खतरा रहता हैं। ज़ेरोडर्मा पिग्मेंटोसम[5] जैसे दुर्लभ अनुवांशिक दोष भी इसका खतरा बढ़ाते हैं। निदान के लिए बायोप्सी या त्वचा पे लगी कोई चोट या जख्म (जों संभावित रूप से कैंसर होने का संकेत दे) से जांच की जा सकती हैं। धूपरोधी क्रीम या यूवी प्रकाश से दूर रह कर मेलेनोमा से बचा जा सकता हैं। उपचार सर्जरी के द्वारा किया जाता हैं। जिन लोगो में यह कैंसर थोडा बड़ा होता हैं, उनमे लसिका ग्रंथि को भी प्रसार के लिए परिक्षण किया जाता हैं। यदि प्रसार ज्यादा न हुआ हो तो ज्यादातर लोगो को बचाया जा सकता हैं। जिन लोगो में मेलेनोमा फैल जाता हैं, उन्हें इम्म्युनोथेरेपी, जैविक चिकित्सा, विकिरण चकित्सा या कीमोथेरेपी जीवन के अस्तित्व में सुधार कर सकती हैं। इस बात की संभावना कि यह कैंसर वापस आएगा या फैल जाएगा इस पर निर्भर करता हैं कि मेलेनामो कितना मोटा हैं, कोशिकाएं कितनी तेज़ी से विभाजित हो रही हैं, या फिर उसकी ऊपर त्वचा टूटी हैं या नहीं। मेलेनोमा सबसे खतरनाक प्रकार का त्वचा कैंसर हैं। वैश्विक स्तर पर यह साल २०१२ में २३२,००० लोगो में हुआ। २०१५ में ३१ लाख लोगो में पाया गया[6]। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड में मेलेनोमा सबसे ज्यादा पाया जाता हैं। एशिया, अफ्रीका, और लैटिनअमेरिका में यह कम पाया जाता हैं।