मीन कैम्फ
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माइन कांप्फ़ (जर्मन: Mein Kampf) (अर्थ: मेरा संघर्ष) जर्मनी के तानाशाह और पूर्व चांसलर एडोल्फ हिटलर द्वारा लिखित एक पुस्तक है। इसमें हिटलर की आत्मकथा के साथ-साथ उसकी राजनीतिक विचारधारा और जर्मनी के बारे में उसकी योजनाओं का वर्णन है। यह पुस्तक दो भागों में छपी - पहला भाग सन् १९२५ में और दूसरा भाग सन् १९२६ में छपा।[1] इस पुस्तक को हिटलर के सहायक रुडोल्फ़ हेस ने संपादित किया था।[2][3]
माइन कांप्फ़ मेरा संघर्ष | |
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लेखक | एडोल्फ हिटलर |
देश | जर्मनी |
भाषा | जर्मन |
विषय | आत्मकथा |
प्रकाशक | फ्रैंज़ एह्र नैकफोल्गर |
प्रकाशन तिथि | 18 जुलाई 1925 |
अंग्रेजी में प्रकाशित हुई |
13 अक्तूबर 1933 (संक्षिप्त) 1939 (पूरा) |
मीडिया प्रकार | कठोर जिल्द |
पृष्ठ | 720 |
आई॰एस॰बी॰एन॰ | 978-1495333347 |
उत्तरवर्ती | त्स्वाइटस बुख़ |
नवंबर १९२३ में राजनीतिक वजहों से जेल में कैद होने पर हिटलर ने अपनी इस किताब को बोलना शुरु किया जिसे हेस लिखता गया। लेखन के दौरान हिटलर को लगा कि यह पुस्तक दो हिस्सों में होनी चाहिए। लैंड्सबर्ग जेल के जेलर के अनुसार हिटलर को ऐसा लगता था कि यह पुस्तक कई हिस्सों और संस्करणों में छपेगी और इससे मुकदमें में होने वाले खर्च की भरपाई हो सकेगी। [4][5] 2016 में बवैरियाई सरकार के इस पुस्तक पर एकाधिकार (कॉपीराइट) खत्म होने के बाद माइन कांप्फ़ सन १९४५ के बाद एक बार फिर जर्मनी में प्रकाशित होना शुरु हुई।