मदीना अज़हरा
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मदीना अज़हरा (अरबी में: مدينة الزهراء मदीनत अज़-ज़हरा: शाब्दिक अर्थ "फूल का शहर") महल-शहर के खंडहर का नाम है जिसे अरब मुस्लिम मध्ययुगीन कोरदोबा के उमय्यद ख़लीफ़ा अब्द-अर-रहमान तृतीय अल नासिर (912 -961) ने कोरदोबा के पश्चिमी सरहद पर स्पेन में बनाया था। यह प्रशासन और सरकार के दिल के जैसी अहमियत इसकी दीवारों के भीतर थी क्योंकि यह एक अरब मुस्लिम मध्ययुगीन शहर और अल अन्दलूस या मुस्लिम स्पेन की वास्तविक राजधानी थी। 936-940 की शुरुआत में बने इस शहर में औपचारिक स्वागत कक्ष, मस्जिदें, प्रशासनिक और सरकारी कार्यालय, बाग़, एक टकसाल, कार्यशालाएँ, बैरक, घर और स्नानाग्रह शामिल थे। जल जलसेतु के माध्यम से आपूर्ति की गई थी। [1]
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इसके निर्माण का मुख्य कारण राजनीतिक-वैचारिक था: खलीफा की गरिमा एक नए शहर की स्थापना अपनी शक्ति के प्रतीक के रूप में आवश्यकता थी। यह अन्य पूर्व के ख़लीफ़ाओं नक़ल थी। इन सबसे ऊपर, यह अपने महान प्रतिद्वंद्वियों उत्तरी अफ्रीका के फ़ातिमियों पर अपनी श्रेष्ठता का प्रदर्शन था। [उद्धरण चाहिए] कहा जाता है कि ख़लीफ़ा की पसन्दीदा अज़हरा को एक श्रद्धांजलि के रूप में बनाया गया था। [2]
इस शाही महल को ख़लीफ़ा अब्द-अर-रहमान तृतीय के बेटे अल हकम द्वितीय (961-976) के शासनकाल के दौरान बढ़ाया गया था। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद जल्द यह महल ही ख़लीफ़ा का मुख्य निवास नहीं रह गया था। 1010 में यह एक गृह युद्ध में तबाह कर दिया गया था। उसके बाद यह छोड़ दिया गया था। इस महल से जुडे कई तत्वों को कहीं और फिर से इस्तेमाल किया गया था। इसके खंडहर को 1910 के बाद से शुरू खुदाई में निकालने की कोशिश की गई थी। 112 हेक्टेयर में से केवल 10 प्रतिशत को खोदा गया और पहले की हालत में पहुँचाया गया है। लेकिन इस क्षेत्र जुड़े हैं स्नान परिसर, दो कुलीन घर, और एक सेवा क्वार्टर के साथ जो कि महल के सुरक्षा दल के लिए था। इसके अलावा यहाँ एक बडी प्रशासनिक इमारत, दरबार की जगह, स्वागत के खुली जगह, बाग़ों की जगह और इस जगह से थोड़ी ही दूर पर एक जामा मस्जिद है।[3]
इस जगह के किनारे पर एक नए संग्रहालय भी बना मगर इसका बड़ा हिस्सा ज़मीन के नीचे है जाकि इस पूरी ज़मीन की बनावट और खंडहर देखने में रुकावट न हो जो कि पहले से आज के दौर कुछ मकान बनने से पहले ही से हो रहा है। [4]