भूमिहार
भारत की एक जाति / From Wikipedia, the free encyclopedia
भूमिहार एक भारतीय जाति है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा थोड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों में निवास करती है। भूमिहार का अर्थ होता है "भूमिपति" , "भूमिवाला" या भूमि से आहार अर्जित करने वाला (कृषक) ।[1] भूमिहार जाति के लोग ब्राह्मण वर्ण के अंतर्गत आते हैं, और उन्हें भूमिहार ब्राह्मण भी कहा जाता है।[2] भूमिहार जाति को बिहार की सबसे शक्तिशाली जाति माना जाता है। बिहार में, उन्हें बाभन[3] और सामंत / जमींदारी के कारण उन्हें बाबूसाहेब भी कहा जाता है। वहीं भूमिहारों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश दिल्ली व हरियाणा के इलाके में त्यागी नाम से जाना जाता है |
भूमिहार 20 वीं शताब्दी तक पूर्वी भारत के एक प्रमुख भू-स्वामी समूह थे, और इस क्षेत्र में कुछ रियासतों और जमींदारी संपदाओं को नियंत्रित करते थे। 16 वीं शताब्दी तक वर्तमान बिहार और झारखंड ( दरभंगा राज को छोड़कर) के सभी राजा भूमिहार थे। बिहार पर अंग्रेजों का शासन होने के बाद भूमिहारो का वर्चस्व धीरे- धीरे कम होता चला गया और राजपूत जाति के लोग जमींदार के रूप में उभरने लगे। अंग्रेजों ने भूमिहारो के द्वारा नियंत्रित भूमि के विशाल क्षेत्र को राजपूत जाति के जमींदारो को सौंप दिया। भूमिहार जाति ने भारत के किसान आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 20 वीं शताब्दी में भूमिहार बिहार की राजनीति में अत्यधिक प्रभावशाली थे।