पुष्पाकारिकी
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वनस्पति विज्ञान में, पुष्पाकारिकी पुष्प द्वारा प्रस्तुत रूपों और संरचनाओं की वैविध्य का अध्ययन है, जो परिभाषानुसार, सीमित विकसित प्ररोह है जो लैंगिक जनन और युग्मक के संरक्षण हेतु जिम्मेदार रूपान्तरित पत्रों को धारण करती है, जिन्हें पुष्पांश कहा जाता है।
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एक पुष्प त्रितयी, चतुष्टयी, पंचतयी हो सकता है यदि उसमें उनके उपांगों की संख्या तीन,चार अथवा पाँच के गुणक में हो सकती है। जिस पुष्प में सहपत्र होते हैं (पुष्पवृन्त के आधार पर छोटी-छोटी पत्तियाँ होती हैं) उन्हें सहपत्री कहते हैं और जिसमें सहपत्र नहीं होते, उन्हें असहपत्री कहते हैं।