पादप प्रजनन
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पादप प्रजनन (Plant Breeding) से आशय किसी पादप की एक नयी प्रजाति तैयार करना जो वांछित गुणों से युक्त हो। यह एक विज्ञान है। इसका अब पर्याप्त विकास हुआ है।
मेंडेल (1865 ई.) की खोजों से पहले भी यह मिस्र देश में अच्छे प्रकार से ज्ञात था। बहुत समय पहले जब इस विषय का वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं हुआ था तब भी अच्छे प्रकार के फूलों और फलों के उत्पादन के लिये बाग बगीचों में यह कार्य संपन्न किया जाता था। इस विषय पर सबसे पुराना साहित्य चीन की एनसाइक्लोपीडिया में मिलता है। अच्छे फूलों और फलों के लिये ऐसे पेड़ों का चुनाव किया जाता था जो अच्छे फूल और फल दे सकते थे। कुछ लोगों का कथन है कि यह कार्य प्राचीन काल में चीन और इटली में गुलाब तथा अच्छी जाति के अन्य पौधों के लिये किया जाता था। डार्विन के मतानुसार हॉलैंड के पुष्पप्रेमियों के द्वारा भी ऐसी ही क्रिया की जाती थी।
- मुख्य प्रजनन विधियाँ (धान)
1.पुनः स्थापन
2.शुद्ध लाइन प्रजनन
3.पुनर्सयोजन प्रजनन
4.उतपरिवर्तन प्रजनन
5.संकर ओज प्रजनन
6.किस्म संकरण
7.दुरस्था संकरण
8.कोशिकीय एवं अण्डविक प्रजनन