पाकिस्तान की न्यायपालिका
From Wikipedia, the free encyclopedia
पाकिस्तान की न्यायपालिका, एक श्रेणीबद्ध प्रणाली है जिसमें अदालतों के दो वर्गों है: श्रेष्ठतर (या उच्च) न्यायपालिका और अधीनस्थ (या निम्न) न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका, "सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के", "संघीय शरीयत कोर्ट" और "पाँच उच्च न्यायालयों" से बना है, जिसके शीर्ष पर "सुप्रीम कोर्ट" विराजमान है। इसके अलावा, प्रत्येक चार प्रांतों एवं इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र के लिये एक उच्च न्यायालय है। पाकिस्तान का संविधान, न्यायपालिका पर संविधान की रक्षा, संरक्षण व बचाव का दायित्व सौंपता है। ना उच्चतम न्यायालय, ना हीं, उच्च न्यायालय, जनजातीय क्षेत्रों(फाटा) के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग कर सकते हैं, सिवाय अन्यथा यदी प्रदान की जाय तो। आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के विवादित क्षेत्रों के लिये अलग न्यायिक प्रणाली है[1][2][3][4]।
Service overview | |
---|---|
पुराना नाम | सन्धानीय न्यायपालिका |
स्थापना | 14 अगस्त 1947 |
देश | Pakistan |
Controlling authority | Supreme Court High Court Federal Shariat Court |
Legal personality | न्यायापालिका |
कर्तव्य | Justice Administration Public Interest Litigation Guardian of the Constitution |
पाकिस्तान में न्यायालयों का पदानुक्रम | 1. उच्चतम न्यायालय 2. उच्च न्यायालय/ सन्धानीय शरियाई न्यायालय 3. जनपद न्यायालय |
पदनाम | Justice Judge Magistrate - Judicial & Executive |
Selection / Appointment | 1. Judicial Commission of Pakistan for the Supreme & High court judges 2. Governor for Subordinate Judiciary (after passing the service exam) |
न्यायपालिका का प्रमुख | |
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश | Justice Qazi Faez Isa |
अधीनस्थ न्यायपालिका में, सिविल और आपराधिक जनपदीय न्यायालय व अन्य अनेक विशेष अदालतें शामिल हैं, जो, बैंकिंग, बीमा, सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क, तस्करी, ड्रग्स, आतंकवाद, कराधान, पर्यावरण, उपभोक्ता संरक्षण, और भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में अधिकारिता का प्रयोग करती हैं। आपराधिक अदालतों को दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 के तहत बनाया गया था और सिविल अदालतें, पश्चिमी पाकिस्तान सिविल न्यायालय अध्यादेश, 1964 द्वारा स्थापित किए गए थे। साथ ही, राजस्व अदालतें भी हैं, जो कि पश्चिमी पाकिस्तान भू-राजस्व अधिनियम, 1967 के तहत काम कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार, विशिष्ट मामलों में विशिष्ट अधिकार कार्यान्वित करने हेतु प्रशासनिक अदालतों और अधिकरणों की स्थापना कर सकती है।