नरेन्द्र मोदी सरकार की दक्षिण एशियाई विदेश नीति
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प्रधानमंत्री बनने से पहले ही नरेन्द्र मोदी ने संकेत दिया था कि उनकी विदेश नीति भारत के पड़ोसियों के साथ संबंधों को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करेगी, इसे ही मीडिया द्वारा पड़ोसी पहले की नीति कहा गया।[1][2][3] उन्होंने अपनी सरकार के उद्घाटन समारोह में दक्षिण एशियाई देशों के सभी शासनाध्यक्षों को आमंत्रित करके अच्छी शुरुआत की और दूसरे दिन अपने कार्यालय में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सभी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, जिसे मीडिया द्वारा लघु सार्क सम्मेलन (mini SAARC summit) का नाम दिया गया।[4] बाद में इसरो में एक शुभारंभ समारोह (launch event) के दौरान उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों से पूरे दक्षिण एशिया के लोगों के साथ टेली मेडिसिन, ई-लर्निंग आदि जैसी तकनीक के फल साझा करने के लिए समर्पित एक सार्क उपग्रह[5] विकसित करने का प्रयास करने को कहा ताकि वर्तमान में इस क्षेत्र में संचालित भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को बल मिल सके।
यह लेख इसका एक भाग है। नरेन्द्र मोदी | ||
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