धनसिंह थापा
भारतीय सेना अधिकारी एवं परमवीर चक्र से सम्मानित / From Wikipedia, the free encyclopedia
मेजर धन सिंह थापा मगर जी परमवीर चक्र से सम्मानित गोर्खा भारतीय सैनिक हैं। इन्हे यह सम्मान सन 1962 मे मिला।[2] वे अगस्त १९४९ में भारतीय सेना की आठवीं गोरखा राइफल्स में अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे[3]।
लेफ्टिनेंट कर्नल श्री धन सिंह थापा मगर जी परमवीर चक्र | |
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श्री धन सिंह थापा मगर जी | |
जन्म |
10 अप्रैल 1928 शिमला, हिमाचल प्रदेश |
देहांत | 5 सितम्बर 2005(2005-09-05) (उम्र 77) |
निष्ठा | भारत |
सेवा/शाखा | भारतीय सेना |
सेवा वर्ष | 1949–1975 |
उपाधि | मेजर, बाद में लेफ्टिनेंट कर्नल |
सेवा संख्यांक | IC-7990[1] |
दस्ता | पहली व 8वीं गोरख राइफल |
युद्ध/झड़पें | भारत-चीन युद्ध |
सम्मान | परमवीर चक्र |
भारत द्वारा अधिकृत विवादित क्षेत्र में बढ़ते चीनी घुसपैठ के जवाब में भारत सरकार ने "फॉरवर्ड पॉलिसी" को लागू किया। योजना यह थी कि चीन के सामने कई छोटी-छोटी पोस्टों की स्थापना की जाए। चीन-भारतीय युद्ध अक्टूबर 1962 में शुरू हुआ; 21 अक्तूबर को, चीनी ने पैनगॉन्ग झील के उत्तर में सिरिजैप और यूल पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से घुसपैठ शुरू की थी।
सिरिजैप 1, पांगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे पर 8 गोरखा राइफल्स की प्रथम बटालियन द्वारा स्थापित एक पोस्ट थी जो मेजर धन सिंह थापा मगर जी की कमान में थी। जल्द ही यह पोस्ट चीनी सेनाओं द्वारा घेर लिया गया था। मेजर थापा मगर जी और उनके सैनिकों ने इस पोस्ट पर होने वाले तीन आक्रमणों को असफल कर दिया। श्री थापा मगर सहित बचे लोगों को युद्ध के कैदियों के रूप में कैद कर लिया गया था। अपने महान कृत्यों और अपने सैनिकों को युद्ध के दौरान प्रेरित करने के उनके प्रयासों के कारण उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।