दक्षिण सूडान का इतिहास
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दक्षिण सूडान का इतिहास में वर्तमान दक्षिण सूडान क्षेत्र और यहाँ के निवासियों का इतिहास शामिल है।
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दक्षिण सूडान २०११ में सूडान गणराज्य से अलग होकर एक देश बना। भौगोलिक रूप से दक्षिण सूडान का कोई भी क्षेत्र सूडान क्षेत्र (सहेल) का भाग नहीं है और अपने आप को उप-सहारा अफ़्रीका के हिस्से के रूप में गठित करता है। आधुनिक शब्दावली में इसमें पूर्वी सूडानी सवाना क्षेत्र के भाग भी शामिल हैं। इसके "सूडान" में समावेशन का कारण १९वीं सदी में उस्मानी साम्राज्य का विस्तार और इसके बाद १८८५ से २०११ तक माहदिया सूडान, एंग्लो-मिस्र सूडान और सूडान गणराज्य के शामिल होना रहा।
दक्षिण सूडान में निलो-सहारा भाषियों की बहुलता है और नाइजर-कांगो भाषी अल्पसंख्यक हैं। ऐतिहासिक रूप से वर्तमान दक्षिण सूडान केन्द्रिय सूडान भाषियों की बहुलता वाला था लेकिन निलोत जनजाती की उपस्थिति भी प्रागैतिहासिक काल से ही मानी जाती है। चौदहवीं सदी के समकालीन समय में मकुरिया और अलोदिया ईसाई न्युबियन साम्राज्य के विघटन के बाद से ही निलोटिक लोग धीरे-धीरे इस क्षेत्र में बढ़ने लग गये।