चिरकारी अवरोधी फुप्फुस रोग
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चिरकारी अवरोधी फुप्फुस रोग (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस/सीओपीडी या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग्स डिसीस) एक प्रकार का फेफड़ों से सम्बंधित अवरोधी फुप्फुस रोग है[1] जिसे जीर्ण रूप से खराब वायु प्रवाह से पहचाना जाता है। आम तौर पर यह समय के साथ बिगड़ता जाता है। इसके मुख्य लक्षणों में श्वसन में कमी, खांसी, और कफ उत्पादन शामिल हैं।[2] क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस से पीड़ित अधिकांश लोगों को सीओपीडी होता है। [3]
चिरकारी अवरोधी फुप्फुस रोग chronic obstructive pulmonary disease वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | ||
Gross pathology of a lung showing centrilobular-type emphysema characteristic of smoking. This close-up of the fixed, cut lung surface shows multiple cavities lined by heavy black carbon deposits. | ||
आईसीडी-१० | J40.–J44., J47. | |
आईसीडी-९ | 490–492, 494–496 | |
ओएमआईएम | 606963 | |
डिज़ीज़-डीबी | 2672 | |
मेडलाइन प्लस | 000091 | |
ईमेडिसिन | med/373 emerg/99 | |
एम.ईएसएच | C08.381.495.389 |
तंबाकू धूम्रपान सीओपीडी का एक आम कारण है, जिसमें कई अन्य कारक जैसे वायु प्रदूषण और आनुवांशिक समान भूमिका निभाते हैं।[4] विकासशील देश में वायु प्रदूषण का आम स्रोत खराब वातायन वाली भोजन पकाने की व्यवस्था और गर्मी के लिए आग जलाने से संबंधित है। इन परेशानी पैदा करने वाले कारणों से दीर्घ कालीन अनावरण के कारण फेफड़ों में सूजन की प्रतिक्रिया होती है जिसके कारण वायुमार्ग छोटे हो जाते हैं और एम्फीसेमा नामक फेफड़ों के ऊतकों की टूटफूट जन्म लेती है। [5] इसका निदान खराब वायुप्रवाह पर आधारित है जिसकी गणना फेफड़ों के कार्यक्षमता परीक्षणों से की जाती है।[6] अस्थामा के विपरीत, दवा दिए जाने से वायुप्रवाह में कमी महत्वपूर्ण रूप से बेहतर नहीं होती है।
ज्ञात कारणों से अनावरण को कम करके सीओपीडी की रोकथाम की जा सकती है। इसमें धूम्रपान की दर घटाने के प्रयास तथा घर के भीतर व बाहर की वायु गुणवत्ता का सुधार शामिल है। सीओपीडी उपचार में:धूम्रपान छोड़ना, टीकाकरण, पुनर्वास और अक्सर श्वसन वाले ब्रांकोडायलेटर और स्टीरॉएड शामिल होते हैं। कुछ लोगों को दीर्घअवधि ऑक्सीजन उपचार या फेफड़ों के प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है।[5] वे लोग जिनमें those who have periods of गंभीर खराबी के लक्षण हों उनके लिए दवाओं का बढ़ा हुआ उपयोग और अस्पताल में उपचार की जरूरत पड़ सकती है।
पूरी दुनिया में सीओपीडी 329 मिलियन लोगों या जनसंख्या के लगभग 5% लोगों को प्रभावित करती है। 2012 में इस विश्वव्यापी मौतों के कारणों में तीसरा स्थान हासिल था क्योंकि इससे 3 मिलियन लोगों की मौत हुई थी।[7] धूम्रपान की अधिक दर और अनेक देशों में जनसंख्या के बुजुर्ग होने से, होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि का अनुमान है।[8] 2010 में इसके चलते $2.1 ट्रिलियन की राशि का व्यय हुआ।[9]