गोवा की मुक्ति
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गोवा की मुक्ति से आशय उस कार्रवाई से है जिसके द्वारा दिसम्बर 1961 में भारतीय सशस्त्र बलों ने सशस्त्र कार्रवाई करके गोवा, दमन और दीव को पुर्तगाल के कब्जे से मुक्त करा लिया था। पाश्चात्य जगत में इसे गोवा का समामेलन (Annexation of Goa) कहा जाता है तथा पुर्तगाल में इसे गोवा पर आक्रमण के रूप में जाना जाता है। जवाहरलाल नेहरू को आशा थी कि गोवा में चल रहे गोवा मुक्ति संग्राम और विश्व जनमत का दबाव से पुर्तगाली गोवा के अधिकारियों को इसे स्वतंत्रता देने के लिए मजबूर करेगा, लेकिन बहुत दिनों तक ऐसा होते नहीं दिखा। इसलिए उन्होंने इसे बलप्रयोग से लेने का निर्णय किया। [5] दादरा और नगर हवेली को स्थानीय लोगों ने पहले ही स्वतंत्र घोषित कर दिया था।
सामान्य तथ्य गोवा की मुक्ति, तिथि ...
गोवा की मुक्ति | |||||||||
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IN-GA.svg वर्तमान भारत में गोवा राज्य की स्थिति | |||||||||
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योद्धा | |||||||||
भारत | पुर्तगाल | ||||||||
सेनानायक | |||||||||
डॉ राजेन्द्र प्रसाद (भारत के राष्ट्रपति) जवाहरलाल नेहरु (भारत के प्रधानमंत्री) वी के कृष्ण मेनन (Minister of Defence) Lt. Gen. J. N. Chaudhuri VAdm R. D. Katari AVM Erlic Pinto Maj. Gen. K. P. Candeth Brig. Sagat Singh |
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शक्ति/क्षमता | |||||||||
45,000 infantry 1 light aircraft carrier 2 cruisers 1 destroyer 8 frigates 4 minesweepers 20 Canberra medium bombers 6 Vampire fighters 6 Toofani fighter-bombers 6 Hunter multi-role aircraft 4 Mystère fighter-bombers |
3,500 military personnel 1 frigate 3 inshore patrol boats | ||||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||||
22 killed[1] |
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