गोल्डन काफ़ (सोने का बछड़ा)
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इब्रानी (हिब्रू) बाइबिल के अनुसार, द गोल्डेन काफ़ (עֵגֶּל הַזָהָב ‘ēggel hazâhâḇ) मोज़ेज़ (मुसों) जब माउंट सिनाई पर चले गए तब उनकी अनुपस्थिति के दौरान इस्राएलियों को संतुष्ट करने के लिए उनके भाई हारून (एरॉन) द्वारा बनवाई गई मूर्ति (पंथ अथवा सम्प्रदाय की प्रतिकृति) थी। द काफ़ (बछड़ा) के जरिए इस्राएल के ईश्वर का शारीरिक प्रतिनिधित्व अभिप्रेत था और इसीलिए, इस्राएल को दोबारा बुत परस्ती (मूर्तिपूजा) में शामिल करने की गलती की जा रही थी एवं ईश्वर की शारीरिक सत्ता का होना आरोपित किया जा रहा था।
हिब्रू में, यह घटना ḥēṭ’ ha‘ēggel (חֵטְא הַעֵגֶּל) के रूप में जानी जाती है अथवा "द सिन ऑफ़ द काफ़" (बछड़े का पाप) के नाम से भी जाना जाता है। इसका उल्लेख सर्वप्रथम निष्क्रमण (एक्सोड्स) 32:4 में किया गया है। बैल की पूजा कई संस्कृतियों में आम बात थी। मिस्र में, निष्क्रमण के विवरण के अनुसार जब इब्रानी (यहूदी) लोगों को आये अधिक समय नहीं हुआ था तब ही, एपिस बुल एवं बैल के सिर वाला खनुम (Khnum) पूज्य पात्र थे, जैसा कि कुछ लोगों का मानना है, निर्वासन के समय इब्रानी पुनर्जीवन प्राप्त कर रहे थे;[उद्धरण चाहिए] वैकल्पिक रूप से, कुछ लोगों का विश्वास है कि इस्राएल के ईश्वर का संबंध चित्रित बछड़े/बैल देवता के रूप में धार्मिक रूप से आत्मसात और समन्वयता करने की प्रक्रिया के माध्यम से अंगीकृत कर लिया जाना था। मिस्रवासियों एवं इब्रानियों के मध्य प्राचीन पड़ोसियों में निकटरूप पूर्व में तथा ईजियन में, ऑरोक्स, वन्य बैल, की व्यापक रूप से पूजा की जाती थी, अक्सर चन्द्र बैल एवं ईएल के प्राणी के रूप में. इसकी मिनियोन अविभार्व के कारण यूनानी मिथक में क्रेटन बैल के रूप में उत्तरजीवी रहा. भारत में, नंदी (एक बैल) को भगवान शिव की सवारी माना जाता है एवं इसीलिए अनेक हिन्दुओं के लिए यह पवित्र एवं पूज्य है। यूनानियों (मिस्रवासियों) के बीच हाथोर को पवित्र गाय के रूप में प्रतिनिधित्व प्राप्त है, एवं साथ ही साथ इसे आकाश गंगा के रूप में पेश किया जाता है और अक्सर इसकी पहचान अपने पड़ोसी की देवी ईएल आशेरा के समकक्ष ही की गई। इब्रियों जनजातियों का विकास इन लोगों और पैन्थिओन के बीच होता गया, अतः यह मान लेने में कोई आश्चर्य नहीं कि उनके बीच एक साझा विरासत रही हो जिस पंथ का धीरे-धीरे अब भी अधोपतन हो रहा हो और जिसे ईश्वर एक है (एकेश्वर वाद) की पन्थ के सत्ता में आने के बाद मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ा हो.