कुरु
प्राचीन हिंदू राजवंश / From Wikipedia, the free encyclopedia
कुरु साम्राज्य या कुरु राजवंश (संस्कृत: कुरु) उत्तरी लौह युग के प्राचीन भारत का हिन्दू साम्राज्य था। कुरु साम्राज्य की सीमाएँ वर्तमान दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग (दोआब का क्षेत्र, प्रयाग तक) शामिल थे। कुरु राजवंश ने मध्य वैदिक काल (ल. 1200 से 600 ई.पू तक साम्राज्य के रूप मे और ल. 600 से 350 ई.पू तक महाजनपद के रूप मे शासन किया) और भारतीय उपमहाद्वीप में पहले दर्ज राज्य-स्तरीय समाज में विकसित हुआ।
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कुरु साम्राज्य (पौराणिक) कुरु राजवंश (पौराणिक) | |||||||||||||
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कुरु राज्य का विस्तार | |||||||||||||
राजधानी | हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ | ||||||||||||
प्रचलित भाषाएँ | संस्कृत | ||||||||||||
धर्म | हिंदू धर्म | ||||||||||||
सरकार | राजतंत्र | ||||||||||||
महाराज और सम्राट | |||||||||||||
• 13वीं शताब्दी ई.पू[उद्धरण चाहिए]
| सम्राट कुरु | ||||||||||||
• 11वीं शताब्दी ई.पू[उद्धरण चाहिए]
| सम्राट युधिष्ठिर | ||||||||||||
• 11वीं शताब्दी ई.पू[उद्धरण चाहिए]
| सम्राट परीक्षित | ||||||||||||
• 10वीं शताब्दी ई.पू[उद्धरण चाहिए]
| सम्राट जनमेजय | ||||||||||||
ऐतिहासिक युग | लौह युग | ||||||||||||
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अब जिस देश का हिस्सा है | भारत |
कुरु साम्राज्य ने निर्णायक रूप से प्रारंभिक वैदिक काल की वैदिक विरासत को बदल दिया। कुरुओ ने वैदिक भजनों को संग्रह में व्यवस्थित किया और नए अनुष्ठानों को विकसित किया। जिन्होंने भारतीय सभ्यता में श्रुत संस्कार के रूप में अपना स्थान प्राप्त किया और "शास्त्रीय संश्लेषण" या "हिंदू संश्लेषण" का विकास किया। कुरु साम्राज्य के इतिहास का मुख्य श्रोत महाभारत महाकाव्य हैं।
चंद्रवंशी राजा कुरु के वंशज कुरुवंशी क्षत्रिय अर्थात कौरव कहलाते हैं कुरू साम्राज्य परीक्षित और जनमेजय के शासनकाल के दौरान मध्य वैदिक काल का प्रमुख राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया था, लेकिन महाजनपद काल (ल. 600 से 350 ई.पू) के दौरान इसका महत्व कम हो गया था, अंततः नंद साम्राज्य के महापद्मनन्द द्वारा 350 से 340 ई.पू के बीच, कुरु महाजनपद को मगध मे विलय कर लिया गया।