कामाख्या मन्दिर
असम में स्थित माँ सती देवी का मंदिर / From Wikipedia, the free encyclopedia
कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या में है।से भी १० किलोमीटर दूर नीलाचल पव॑त पर स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है [3] व इसका महत् तांत्रिक महत्व है। प्राचीन काल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। पूर्वोत्तर के मुख्य द्वार कहे जाने वाले असम राज्य की राजधानी दिसपुर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीलांचल अथवा नीलशैल पर्वतमालाओं पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के इक्यावन शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है। ये अष्टादश महाशक्तिपीठ स्तोत्र के अन्तर्गत है जो आदि शंकराचार्यने लिखा था।देश भर मे अनेकों सिद्ध स्थान है जहाँ माता सुक्ष्म स्वरूप मे निवास करती है प्रमुख महाशक्तिपीठों मे माता कामाख्या का यह मंदिर सुशोभित है हिंगलाज की भवानी, कांगड़ा की ज्वालामुखी, सहारनपुर की शाकम्भरी देवी, विन्ध्याचल की विन्ध्यावासिनी देवी,श्रीबाग(अलिबाग) की श्री पद्माक्षी रेणुका देवी आदि महान शक्तिपीठ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र एवं तंत्र- मंत्र, योग-साधना के सिद्ध स्थान है। यहाँ मान्यता है, कि जो भी बाहर से आये भक्तगण जीवन में तीन बार दर्शन कर लेते हैं उनके सांसारिक भव बंधन से मुक्ति मिल जाती है । " या देवी सर्व भूतेषू मातृ रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।
विश्व विख्यात और विश्व का एकमात्र मां कामाख्या महासिद्ध पीठ की एक मान्यता ये भी देवी ग्रंथ कुलावर्ण तंत्र और महाभगवती पुराण में बताई गई है कि जो भी कलयुग में इस स्वयंभू सिद्ध पीठ में गंगा मईया का गंगा जल लाकर चढ़ाएगा और उस में से ही महा नदी ब्रह्मपुत्र में डाल देगा उसको वाजपई यज्ञ का फल मिलेगा क्योंकि ये सभी पृथ्वी के साथ सभी लोकों की दिव्य शक्तियों का भी शक्ति केंद्र हमेशा रहा ही है
कामाख्या मंदिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | कामाख्या |
त्यौहार | अम्बुबाची मेला |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | नीलाचल पहाड़ी, गुवाहाटी |
राज्य | असम |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 26.166426°N 91.705509°E / 26.166426; 91.705509 |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | नीलाचल शैली, कूच शैली |
निर्माता | म्लेच्छ वंश के राजा[1] पुनर्निर्माण: राजा नर नारायण और बाद में, अहोम राजाओं द्वारा। |
निर्माण पूर्ण | 8वीं-17वीं सदी[2] |
आयाम विवरण | |
मंदिर संख्या | 6 |
स्मारक संख्या | 8 |
वेबसाइट | |
www |
नीलांचल पर्वत
विश्व विख्यात देवज्ञ पंडित राजीव शर्मा "शूर" राज ज्योतिषी,धर्मगुरु भी हैं और जो कंडाघाट,जिला सोलन ,हिमाचल प्रदेश के निवासी भी हैं ने स्वय यहां सिद्ध पीठ में रह कर साधना में जप तप हवन यज्ञ करके और लगभग हर त्यौहार मेले अंबु वाची आदि में भी शामिल हो के अनेक बार मां कामाख्या का साक्षात् सिद्धि की अनुभूति प्राप्त की और वेद पुराण शास्त्रों में दी गई सभी बताती गई महिमा को आज भी उस से अधिक शत प्रतिशत वैसे अनुभूत पाया