करम सिंह
भारतीय सेना में लांस नायक एवं परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले प्रथम जीवित अधिकारी / From Wikipedia, the free encyclopedia
लांस नायक करम सिंह (बाद में सूबेदार एवं मानद कैप्टन) (15 सितम्बर 1915 - 20 जनवरी 1993), परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले प्रथम जीवित भारतीय सैनिक थे।[2] श्री सिंह 1941 में सेना में शामिल हुए थे और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा की ओर से भाग लिया था जिसमे उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें ब्रिटिश भारत द्वारा मिलिट्री मैडल (एमएम) दिया गया। उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 में भी लड़ा था जिसमे टिथवाल के दक्षिण में स्थित रीछमार गली में एक अग्रेषित्त पोस्ट को बचाने में उनकी सराहनीय भूमिका के लिए सन 1948 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
सूबेदार एवं मानद कैप्टन करम सिंह परम वीर चक्र, सेना पदक | |
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जन्म |
15 सितम्बर 1915 सेहना, बरनाला, पंजाब, भारत |
देहांत | 20 जनवरी 1993(1993-01-20) (उम्र 77) |
निष्ठा |
ब्रिटिश भारत भारत |
सेवा/शाखा |
ब्रिटिश भारतीय सेना भारतीय सेना |
सेवा वर्ष | 1941–1969 |
उपाधि |
लांस नायक बाद में मानद कैप्टन |
सेवा संख्यांक | 22356[1] |
दस्ता | प्रथम बटालियन (1 सिख) |
युद्ध/झड़पें |
द्वितीय विश्व युद्ध भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 |
सम्मान |
परम वीर चक्र मिलिट्री मैडल (एमएम) |
वह 1947 में आजादी के बाद पहली बार भारतीय ध्वज को उठाने के लिए चुने गए पांच सैनिकों में से एक थे। श्री सिंह बाद में सूबेदार के पद पर पहुंचे और सितंबर 1969 में उनकी सेवानिवृत्ति से पहले उन्हें मानद कैप्टन का दर्जा मिला।