विवेकानंद
भारत के एगो आध्यात्मिक नेता आ रामकृष्ण परमहंस के शिष्य / From Wikipedia, the free encyclopedia
स्वामी विवेकानंद (बंगाली: স্বামী বিবেকানন্দ; 12 जनवरी 1863 — 4 जुलाई 1902) भारत के एगो आध्यात्मिक नेता आ रामकृष्ण परमहंस के शिष्य रहलें। ऊ वेदांत के बिख्यात आ परभावशाली बिद्वान रहलें। जनम के नाँव नरेंद्र नाथ दत्त रहल। ऊ दर्शन आ धर्म के बिद्वान भर ना रहलें बलुक एगो तेज तर्रार समाज सुधारक भी रहलें आ हिंदू धर्म में सुधार के काम भी कइलन। विवेकानंद, रामकृष्ण मठ आ रामकृष्ण मिशन के अस्थापना कइलें।
स्वामी विवेकानंद | |
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जनम | नरेंद्रनाथ दत्त (1863-01-12)12 जनवरी 1863 कलकत्ता (अब कोलकाता) |
निधन | 4 जुलाई 1902(1902-07-04) (उमिर 39) बेलूर मठ, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश राज (अब बेलूर, पच्छिम बंगाल) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अस्थापक | रामकृष्ण मिशन रामकृष्ण मठ |
गुरु | श्री रामकृष्ण परमहंसदेव |
दर्शन | मॉडर्न बेदांत,[2][3] राज योग[3] |
रचना | राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, मेरे गुरु |
प्रमुख चेला लोग | अशोकानंद, विरजानंद, परमानन्द, अलसिंगा पेरूमल, अभयानंद, सिस्टर निवेदिता, स्वामी सदानंद |
प्रभाव डलने
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कोटेशन | "उठऽ, जागऽ, आ तबले मत रुकऽ जबले लक्ष्य न मिल जाय" |
दस्खत |
उनुका के अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म पर दिहल भाषण खातिर जानल जाला जवना के सुरुआत "अमरीकी भाई बहिनी लोग…." के वाक्य से भइल।[4] उनुकर ई संबोधन सभके दिल जीत लिहलस।
कलकत्ता के एक ठो उच्च-वर्गीय बंगाली परिवार में जनमल विवेकानंद, अध्यात्म के ओर मुड़ गइलेन। ऊ अपना गुरु रामकृष्ण देव से शिक्षा से परभावित भइलें आ उनसे ई सीखलें कि सगरी जीव में पबित्र शक्ति के बास बा आ एही कारन मानव मात्र के सेवा से ईश्वर के सेवा भी होखी। रामकृष्ण के गुजर जाए के बाद विवेकानंद पूरा भारतीय उपमहादीप के ब्यापक भ्रमण कइलेन आ ओह जमाना के ब्रिटिश भारत के परिस्थिति सभ के सीधा ज्ञान हासिल कइलें। एकरे बाद ऊ अमेरिका के जतरा कइलेन आ 1893 में शिकागो में भइल बिस्व धर्म संसद में भारत के प्रतिनिधित्व कइलेन। विवेकानंद हिंदू दर्शन के ऊपर अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप आ भारत में सैकड़न लेक्चर आ क्लास चलवलें। विवेकानंद के देसप्रेमी संत के रूप में मानल जाला आ भारत में उनके जनम दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनावल जाला।